तस्वीर कभी धुंधली होगी
तकदीर कभी उलझी होगी
तुम कोशिश करके तो देखो
यहाँ जीत नहीं मुश्किल होगी
शायद है वो अनजान अभी
पर्वत भी चीर गया मानव
न खुद की उनको पहचान अभी
उलझो न तुम बस सपनो में
इनको अब सच कर जाना है
जो ख्वाब सजाया था तुमने
तुमको ही रच कर जाना है
दिन ढले रात या भोर उठे
पल को तो आना जाना है
सीमित है समय तुम्हारा यहाँ
जो कुछ चाहा कर जाना है
कृते अंकेश
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