आँखों का अंतिम निर्णय था
आंसू अब तुम बह जाओ
रात अँधेरी सुप्त भवन है
ऐसे में सब कह जाओ
कब तक रोके पलके तुमको
उनको भी अभ्यास कहा
देखो जीवन ऐसा ही होता है
तुमको न था आभास यहाँ
अर्धरात्रि के अंधियारे में
चहरे की आभा खोती है
उन पलकों से जब दो छोटी
अश्रुधारा रोती है
कृते अंकेश
आंसू अब तुम बह जाओ
रात अँधेरी सुप्त भवन है
ऐसे में सब कह जाओ
कब तक रोके पलके तुमको
उनको भी अभ्यास कहा
देखो जीवन ऐसा ही होता है
तुमको न था आभास यहाँ
अर्धरात्रि के अंधियारे में
चहरे की आभा खोती है
उन पलकों से जब दो छोटी
अश्रुधारा रोती है
कृते अंकेश
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