ankesh_writes
Tuesday, November 08, 2011
मेरी अपनी सीमाएं है
कहता जितना कह पाता हूँ
चाहे जितना ही कह डालू
कुछ अनकहा छोड़ ही जाता हूँ
जीवन के पथ पर शायद
कोई इनका अर्थ बना लेगा
मेरी ख़ामोशी में छिपे हुए
शब्दों का भाव बता देगा
कृते अंकेश
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment