दो पग तो साथ चले थे हम,
अब न जाने कब मिल पाएंगे ,
किस्से पल भर के है तो क्या
आँखों से न मिट पाएंगे
तेरी मंजिल का पता नहीं
मेरा रास्ता भी बना नहीं
जो आज अधूरे कही रहे
बन आँखों में सपने छाएंगे
दो पग तो साथ चले थे हम,
अब न जाने कब मिल पाएंगे
घिरती जाएगी शाम कही
ढलती आएगी रात वही
फिर आँखों में बन सपना जो
यह नयन वही मिल जायेंगे
दो पग तो साथ चले थे हम,
अब न जाने कब मिल पाएंगे
कृते अंकेश
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