इंतज़ार
इंतज़ार में
बीत गए दिन
अब तो ऋतु भी बदली है
कुछ कहते है सावन आया
छायी काली बदली है
कहा छिपी है तेरी आभा
जीवन का श्रृंगार कहा
मधु था भूल गया होठो को
वह तेरा विस्तार कहा
तुझसे खोयी मेरी सुबह
और यह शाम दुपहरी है
वो कहते बीत गया है अरसा
लगती बीते पल की प्रहरी है
इंतज़ार में
बीत गए दिन
छायी काली बदली है
कृते अंकेश
इंतज़ार में
बीत गए दिन
अब तो ऋतु भी बदली है
कुछ कहते है सावन आया
छायी काली बदली है
कहा छिपी है तेरी आभा
जीवन का श्रृंगार कहा
मधु था भूल गया होठो को
वह तेरा विस्तार कहा
तुझसे खोयी मेरी सुबह
और यह शाम दुपहरी है
वो कहते बीत गया है अरसा
लगती बीते पल की प्रहरी है
इंतज़ार में
बीत गए दिन
छायी काली बदली है
कृते अंकेश
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