बादल को घिरते देखा है
तूफा की आहट से मैंने बस्ती को जुड़ते देखा है
फिर भी जो सोया क्या बोले
शायद सोचेगा कल, सपनो ने भी उडान भरी
लगता आज उसे जो धोखा है
बादल को घिरते देखा है
कृते अंकेश
तूफा की आहट से मैंने बस्ती को जुड़ते देखा है
फिर भी जो सोया क्या बोले
शायद सोचेगा कल, सपनो ने भी उडान भरी
लगता आज उसे जो धोखा है
बादल को घिरते देखा है
कृते अंकेश
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