विघ्न को जो ढूंढता वो विघ्न का तारक कहा
मृत्यु का जो मार्ग रचता पथ प्रदर्शारक कहा
क्षोभ है न है क्षमा क्या अनुसरण उसका करे
काल से जो न डरा क्या भला उसको कहे
है नहीं जीवन अनेको मृत्यु भी बस एक है
एक है अवसर यहाँ, एक ही जो शेष है
इतिहास रचते है वही जो न डरे है काल से
मृत्यु को रखते सिरहाने विघ्न मिटाते भाल से
क्षोभ उनको है नहीं थे सदा स्पष्ट जो
और क्षमा संभव नहीं जब चल पड़े दुर्गम पथो को
अब तो तय करना समय को जीत है या हार है
शेष श्वासे भी रहेंगी या शेष मात्र संसार है
कृते अंकेश
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