कुछ व्यक्ति मात्र को अपराधी घोषित करने से
अपराध खत्म नहीं होते
यह तो विक्षिप्तता मात्र है तंत्र की
जो जन्म देता है विचारो को
बहकाता है
उकसाता है
पथ भ्रमित करता है
उत्प्रेरित करता है
तत्प्रेरित करता है
और फिर छोड़ देता है भटकने के लिए
लेकिन विचार कभी नहीं मरते
अपराध ऐसे ख़त्म नहीं होते
अंकेश
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