रात अँधेरी, पिया वावरा मेघ मचलते बरसो न
सूखे सूखे सदिया बीती शुष्क अधर है बरसो न
उन्मादों के आवाहन से जूझ रही यह काया है
इस काया के अंतरगों में शामिल होकर बरसो न
चली निशा है क्या ढूँढने, जीवन का रंगमंच सजा
प्यासी काया, प्यासा जीवन, प्यासा ही अंतर्मन यहाँ
इस विदग्ध प्यास से मुझको तृप्त कराते बरसो न
इस काया के अंतरगों में शामिल होकर बरसो न
तेरी वाणी, तेरी छवि या तेरी ही मुस्कान यहाँ
तेरे ही इन भाव बिभावो में खोया जीवन है यहाँ
इस जीवन को विरह भाव से मुक्त कराते बरसो न
इस काया के अंतरगों में शामिल होकर बरसो न
मेरा क्या उन्माद हूँ पल का, पल में ही मिट जाऊँगा
लेकिन इस पल के रहते में गीत मिलन के गाऊँगा
तुम भी मेरी मुस्कानों में मुस्काने भर बरसो न
इस काया के अंतरगों में शामिल होकर बरसो न
कृते अंकेश
सूखे सूखे सदिया बीती शुष्क अधर है बरसो न
उन्मादों के आवाहन से जूझ रही यह काया है
इस काया के अंतरगों में शामिल होकर बरसो न
चली निशा है क्या ढूँढने, जीवन का रंगमंच सजा
प्यासी काया, प्यासा जीवन, प्यासा ही अंतर्मन यहाँ
इस विदग्ध प्यास से मुझको तृप्त कराते बरसो न
इस काया के अंतरगों में शामिल होकर बरसो न
तेरी वाणी, तेरी छवि या तेरी ही मुस्कान यहाँ
तेरे ही इन भाव बिभावो में खोया जीवन है यहाँ
इस जीवन को विरह भाव से मुक्त कराते बरसो न
इस काया के अंतरगों में शामिल होकर बरसो न
मेरा क्या उन्माद हूँ पल का, पल में ही मिट जाऊँगा
लेकिन इस पल के रहते में गीत मिलन के गाऊँगा
तुम भी मेरी मुस्कानों में मुस्काने भर बरसो न
इस काया के अंतरगों में शामिल होकर बरसो न
कृते अंकेश
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