जाग्रत मन
या सुप्त तन
रात के इस प्रहर में विलुप्त जीवन
ख़ामोशी
गहन ख़ामोशी
अवरुद्ध करती अंतर्मन
कैसा प्रयत्न
खोजते क्या नयन
जाग्रत मन
या सुप्त तन
रात के इस प्रहर में विलुप्त जीवन
मधुर करुण क्रंदन विषाद
कैसा है नाद
ओ खामोश व्योम
है कौन पास
करते हो किसका इंतज़ार
है दूर किरण
जाग्रत मन
या सुप्त तन
रात के इस प्रहर में विलुप्त जीवन
कृते अंकेश
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