हे गीत मिलन हे माधुरी
हे स्वरगर्भित प्रियवासिनी
अनुरंजित सामीप्य तुम्हारा
जीवंत तुम्हारी रागिनी
गीत मिलन हर पल हर क्षण
अनिरुद्ध हो तुम युग वासिनी
स्वरसाध्य प्रिये मुस्कान मधुर
है सत्य या दिवा स्वप्न यह रागिनी
कृते अंकेश
हे स्वरगर्भित प्रियवासिनी
अनुरंजित सामीप्य तुम्हारा
जीवंत तुम्हारी रागिनी
गीत मिलन हर पल हर क्षण
अनिरुद्ध हो तुम युग वासिनी
स्वरसाध्य प्रिये मुस्कान मधुर
है सत्य या दिवा स्वप्न यह रागिनी
कृते अंकेश
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