आहिस्ता हर पल गुज़र गया
देखो अब यह भी साल चला
कुछ हलचल लाकर कभी गया
खामोश कही यह चला गया
सपनो के बादल बने कही
खुशियों की बारिश हुई कही
कुछ राहे खोयी रही यहाँ
अनजान किनारा कही मिला
सुधबुध थे जो अपने सपने में
जिनकी किसको भी फ़िक्र नहीं
वो राजमंच पर आ चमके
उनसे सत्ता भी डरी हुई
कुछ ने ठोकर खा सीखा चलना
कुछ को यह चलना सिखा गया
जो भटके थे इस वीराने में
उनको मंजिल यह बता गया
आभार तुम्हारा है हर पल
जो कुछ भी तुम दे जाओगे
है वही सम्पदा अपनी तो
ले नए वर्ष में जायेंगे
कृते अंकेश
देखो अब यह भी साल चला
कुछ हलचल लाकर कभी गया
खामोश कही यह चला गया
सपनो के बादल बने कही
खुशियों की बारिश हुई कही
कुछ राहे खोयी रही यहाँ
अनजान किनारा कही मिला
सुधबुध थे जो अपने सपने में
जिनकी किसको भी फ़िक्र नहीं
वो राजमंच पर आ चमके
उनसे सत्ता भी डरी हुई
कुछ ने ठोकर खा सीखा चलना
कुछ को यह चलना सिखा गया
जो भटके थे इस वीराने में
उनको मंजिल यह बता गया
आभार तुम्हारा है हर पल
जो कुछ भी तुम दे जाओगे
है वही सम्पदा अपनी तो
ले नए वर्ष में जायेंगे
कृते अंकेश
No comments:
Post a Comment