आवहु मिली सब खेले भाई
बहु दिन पाछे यह घडी आई
मत पूछो कहा ऋतु गवाई
सम्मुख तोहरे अब जानो पाई
बस इह ठोर जमेंगे अब मेले
रहे वहा परदेश अकेले
तेरी सोह न भूले पाई
चाहे भले ही बरस बितायी
कृते अंकेश
बहु दिन पाछे यह घडी आई
मत पूछो कहा ऋतु गवाई
सम्मुख तोहरे अब जानो पाई
बस इह ठोर जमेंगे अब मेले
रहे वहा परदेश अकेले
तेरी सोह न भूले पाई
चाहे भले ही बरस बितायी
कृते अंकेश
No comments:
Post a Comment