नशा
तुम्हारी कविताओ में कुछ भी तो नहीं मिलता
उसने कहा
और चाय का प्याला पकड़ा दिया
देखो इस चाय की सुंगंध को
क्या ला सकते हो इसे अपनी कविताओ मैं
मैं जब भी लेता हूँ इसकी चुस्कियां
देती है एक स्फूर्ति का आनंद
वह बोला,
मेरे दोस्त
जिसे तुम आनंद कहते हो
वह तो मात्र एक नशा है
और आप बस उसी नशे में खो जाते हो, मैंने कहा,
तो क्या आपकी कवितायेँ किसी नशे से कम है,
क्या आप नहीं खो जाते है इनमे
उसने चाय का प्याला मेज़ पर रखकर कहा
हकीकत तो यह है यहाँ सभी नशे के शौक़ीन है
बस सबकी पसंद अलग अलग है
कृते अंकेश
तुम्हारी कविताओ में कुछ भी तो नहीं मिलता
उसने कहा
और चाय का प्याला पकड़ा दिया
देखो इस चाय की सुंगंध को
क्या ला सकते हो इसे अपनी कविताओ मैं
मैं जब भी लेता हूँ इसकी चुस्कियां
देती है एक स्फूर्ति का आनंद
वह बोला,
मेरे दोस्त
जिसे तुम आनंद कहते हो
वह तो मात्र एक नशा है
और आप बस उसी नशे में खो जाते हो, मैंने कहा,
तो क्या आपकी कवितायेँ किसी नशे से कम है,
क्या आप नहीं खो जाते है इनमे
उसने चाय का प्याला मेज़ पर रखकर कहा
हकीकत तो यह है यहाँ सभी नशे के शौक़ीन है
बस सबकी पसंद अलग अलग है
कृते अंकेश
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