मैं कौन हूँ
बस एक दर्शक
तुम एक कुशल नर्तकी
शब्द बध्द तुमको करने का दुस्साहस में नहीं करूंगा
तुम बस यु ही गीत लिखो
अपने करतल
अपनी गतियो से
अपना ही संगीत रचो
अपने इस आवेग में बहकर जीवन का हर गीत रचो
मैं तो बस शब्दों में खोकर
उन मधुर रसो का पान करूंगा
मैं कौन हूँ
बस एक दर्शक
तुम एक कुशल नर्तकी
कृते अंकेश
बस एक दर्शक
तुम एक कुशल नर्तकी
शब्द बध्द तुमको करने का दुस्साहस में नहीं करूंगा
तुम बस यु ही गीत लिखो
अपने करतल
अपनी गतियो से
अपना ही संगीत रचो
अपने इस आवेग में बहकर जीवन का हर गीत रचो
मैं तो बस शब्दों में खोकर
उन मधुर रसो का पान करूंगा
मैं कौन हूँ
बस एक दर्शक
तुम एक कुशल नर्तकी
कृते अंकेश
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