ankesh_writes
Sunday, May 22, 2011
जीवन के पन्ने जो खोले कभी थे
उन्हें रंग चला समय का यह साया
खयालो में शायद जमे अब ये महफ़िल
जो किस्सा कभी कोई याद आया
कृते अंकेश
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