तकदीर अगर यह कह दे मुझे
तस्वीर तेरी मंज़ूर नहीं
आँखों की चमक साँसों की दमक
इनका अब कोई दस्तूर नहीं
में फितरत फिर भी रखता हूँ
अपने ही सहारे आऊंगा
सपने देखे है बरसो से
उनको में खुद ही सजाऊंगा
वो कहते है इन गलियों में
मेरे कदमो की गूंज नहीं
आते है लोग हजारो में
मेरा उनमे कुछ मोल नहीं
मुझको उनसे न शिकायत है
न उनको मेरी जरूरत है
मेरी हस्ती है छोटी सी
और पाक यह मेरी मुहब्बत है
कृते अंकेश
1 comment:
nice..........
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