अगर चाहू तो में उस पर्वत श्रखला की चोटियों पर भी जा सकता हूँ
मेरे जोश और उन्माद के पंख पूर्ण रूप से परिपक्व हैं
मैं अँधेरे मैं भी देख सकता हूँ
मेरे अन्दर का साहस रौशनी बनकर सदा मेरे साथ खड़ा है
मैं सागर की समस्त उर्जा को अपने में समेटे हुए हूँ
मैं रेत की तरह कही भी उड़ सकता हूँ
जीवन का सौन्दर्य आज मेरी ताकत है
ख़ुशी , हसी , व्याकुलता, चंचलता , सहजता , सरलता सभी कुछ तो है मेरे पास
फिर भी मैं कितना अकेला हूँ
कृते अंकेश
मेरे जोश और उन्माद के पंख पूर्ण रूप से परिपक्व हैं
मैं अँधेरे मैं भी देख सकता हूँ
मेरे अन्दर का साहस रौशनी बनकर सदा मेरे साथ खड़ा है
मैं सागर की समस्त उर्जा को अपने में समेटे हुए हूँ
मैं रेत की तरह कही भी उड़ सकता हूँ
जीवन का सौन्दर्य आज मेरी ताकत है
ख़ुशी , हसी , व्याकुलता, चंचलता , सहजता , सरलता सभी कुछ तो है मेरे पास
फिर भी मैं कितना अकेला हूँ
कृते अंकेश
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