कुछ बूंदे बारिश की घुलकर
एक पहचानी बस्ती से मिलकर
बीता बचपन खोल रही है
और समय को मोड़ रही है
इन्ही फ़ुहारो सा था बचपन
उछल बिखर कर बीता हर दिन
भीगा तन मन भीगा बचपन
बचपन की बारिश की यादे
बरस रही है हल्के हल्के
हल्के हल्के हल्के हल्के
खोल रही है तोङ रही है
कुछ परतो को जोङ रही है
घुलकर बारिश की कुछ बूंदे
आज समय को मोड़ रही है
कृते अंकेश
एक पहचानी बस्ती से मिलकर
बीता बचपन खोल रही है
और समय को मोड़ रही है
इन्ही फ़ुहारो सा था बचपन
उछल बिखर कर बीता हर दिन
भीगा तन मन भीगा बचपन
बचपन की बारिश की यादे
बरस रही है हल्के हल्के
हल्के हल्के हल्के हल्के
खोल रही है तोङ रही है
कुछ परतो को जोङ रही है
घुलकर बारिश की कुछ बूंदे
आज समय को मोड़ रही है
कृते अंकेश
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