ankesh_writes
Friday, June 28, 2013
जुड़ते गए
उड़ते गए
सपने मेरे खुलते गए
पंख भरे अपनी उड़ान
आँखे समेटे एक आसमान
तारो सी हो दुनिया जिधर
खिलते हो चेहरे हर एक पल
पाना वो मंजिल मेरा मुकाम
ख़त्म नहीं होगा तब तक यह काम
कृते अंकेश
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