मेरे स्कूल में
दो रस्ते थे आने के
सेकड़ो रस्ते थे जाने के
दीवारे खीची जाती थी
लेकिन अनेको बार तोड़ दी जाती थी
क्लास तो हमने कहा कहा नहीं लगायी
स्कूल को आने वाली हर सड़क
हमने ही सजाई
पड़ने से ज्यादा वहा न पड़ने के बहाने थे
छात्र खेलकूद के शौक़ीन और शिक्षक अपनी ही धुन में दीवाने थे
स्कूल सरकारी था
ताज्जुब नहीं की यह हाल था
पर फिर भी भइया स्कूल अपना मिसाल था
यहाँ के गुरुजनों की शिक्षण शैली
सदा रंग लायी
शायद ही हो कोई ट्राफी या मैडल
जो अपने स्कूल न आई
कृते अंकेश
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