ankesh_writes
Sunday, September 30, 2012
जो मन चले
सपने खिले
अब रात यह कैसे ढले
खामोश सुबह रही बस खड़ी
लगती थी उसकी जरूरत नहीं
आँखों के परदे गिरते रहे
साँसों से जा के मिलते रहे
तनहा तनहा फिर हुई रौशनी
देखा था ख्वाब मैंने फिर से वही
कृते अंकेश
Saturday, September 15, 2012
तेरे सिवा कोई न था
तेरे सिवा कोई नहीं
बारिशो से भींग कर
सीली पवन कहती रही
उड़ते रहे मुडेर पर
चोखट के परदे इधर उधर
क्या पता यह बारिशे
ले जाएँगी इनको किधर
घुलता रहा था चाँद भी
मेघो के गर्जन के तले
बिखरी पड़ी कोई छवि
एक अधूरा जीवन लिए
भींगता आकाश था
और भींगती हर स्वास थी
बारिशे होती रही
यह बारिशे कुछ ख़ास थी
कृते अंकेश
Friday, September 14, 2012
क्षीणता आह्वान
करती
अब त्वरित संहार हो
शेष कुछ भी न रहे
विस्मित सकल संसार हो
कब तक विषमता से चलेगा
संघर्ष इस विश्व का
स्वप्न समता का रहेगा
लक्ष्य एक अवदीप्त सा
छोड़ जीवन की क्षुधा को
अब मृत्यु का व्यापार हो
शेष कुछ भी न रहे
विस्मित सकल संसार हो
कृते अंकेश
हिंदी दिवस की शुभकामनाये
हिंदी उदगार है
अभिव्यंजना है हिंद की
वाणी है यह थार की, पंजाब की, बंगाल की
है समेटे बोलियाँ यह बृज, अवध, महाराष्ट्र की
गूजती दक्षिण में भी है वेदना पठार की
इतिहास इसने ही लिखा है मगध के अभिमान का
नालंदा की शान का सारे हिन्दुस्तान का
जीवंत है यह सदा हिंद के अनुस्वार में
है मधुर भाषा प्रिये यह सदा व्यव्हार में
कृते अंकेश
Thursday, September 13, 2012
little eyes
reflecting the world
seen through their mind
mind which is yet to develop
mind which is cautious,
imaginative,
ready to learn
mind which believes on only what is shown to it
mind which does not assumes or frames the superstitious belief
mind which is as fresh as the water of rain
before it enters the atmosphere and then flows through drain
little eyes are capturing the truth
before child sleeps
and mind gets develop
Ankesh
little eyes
reflecting the world
seen through their mind
mind which is yet to develop
mind which is cautious,
imaginative,
ready to learn
mind which believes on only what is shown to it
mind which does not assumes or frames the superstitious belief
mind which is as fresh as the water of rain
before it enters the atmosphere and then flows through drain
little eyes are capturing the truth
before child sleeps
and mind gets develop
Ankesh
Saturday, September 08, 2012
था प्रतीक्षित क्षण कभी जो
प्रियवर मेरा सम्मुख खड़ा था
नयन तकते थे नयन को
शेष तन विस्मृत पड़ा था
होती कहा सीमा समय की
विस्त्रता
आकाश की
प्रेम से होती अपरिचित
शून्यता भी श्वांस की
नित परस्पर फिर कही जो
चल रहे उदगाम है
स्वर है तेरे स्वर है मेरे
प्रेम यह अविराम है
ढूंढते परिचय स्वयं का
मिलती कहानी पर नयी
सेकड़ो सदिया है गुजरी
बात लेकिन अनकही
कृते अंकेश
Wednesday, September 05, 2012
लूट रहा है देश को कोई
कोई घर को तोड़ रहा
कोई सत्ता में आने को
सारे नंबर जोड़ रहा
कोई आरक्षण के वादे
देकर वोट झटकता है
कोई कुछ रंगों के झंडे
बस हाथो में रखता है
अपराधो की श्रखलाओ में
सबको पीछे छोड़ चुका
सत्ता के गलियारों से वो
अपना सम्बन्ध जोड़ चुका
ऐसी पावन राजनीति का
हुआ प्रदर्शन और कहा
हमें गर्व है इस विश्व का
सबसे बड़ा लोकतंत्र यहाँ
कृते अंकेश
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