मेने स्वरों को तोड़ कर
अपनी लयो को छोड़ कर
जीना था सीखा फिर कही
तेरी नज़र से जोड़ कर
रंगों की वो महफ़िल नयी
थी शाम भी कुछ अनकही
रिश्ते नए बनते गए
बस साथ हम चलते गए
अंकेश
अपनी लयो को छोड़ कर
जीना था सीखा फिर कही
तेरी नज़र से जोड़ कर
रंगों की वो महफ़िल नयी
थी शाम भी कुछ अनकही
रिश्ते नए बनते गए
बस साथ हम चलते गए
अंकेश
No comments:
Post a Comment