ankesh_writes
Friday, June 08, 2012
सूक्ष्मता
इतनी विरल
जटिलता या सरल
गहन गूढ़ चितन में लुप्त मन अविरल
प्रश्न यह निश्चल
जीवंत मुखर तरल
अनुत्तरित प्रस्तावना सकल
चाहे आज या कल
समय चंचल
चल दो कदम तो चल
अंकेश
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