हवा के झोको ने पूछा महल के वीरानो से
क्या आता जाता है कोई
इन बंद दरवाजो से
खिडकिया है खुली शायद
कोई झोका कभी आया
नहीं दिखता मगर चेहरा
पानी बारिश ने है फेलाया
रंग भी है पड़े फीके
उखड़ती पपडिया चीखे
रौशनी की किसे सुध है
ख़ामोशी ने दिल बहलाया
हवा के झोको ने पूछा महल के वीरानो से
क्या आता जाता है कोई
इन बंद दरवाजो से
कृते अंकेश
क्या आता जाता है कोई
इन बंद दरवाजो से
खिडकिया है खुली शायद
कोई झोका कभी आया
नहीं दिखता मगर चेहरा
पानी बारिश ने है फेलाया
रंग भी है पड़े फीके
उखड़ती पपडिया चीखे
रौशनी की किसे सुध है
ख़ामोशी ने दिल बहलाया
हवा के झोको ने पूछा महल के वीरानो से
क्या आता जाता है कोई
इन बंद दरवाजो से
कृते अंकेश
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