देख छायी काली घटा
मादक पवन बिखरी सयानी
जाल यह कैसा बुना
रंग धुंधले से हुए
आगोश में रवि को लिया
ढूढने खामोशिया
अब तू कहा यु चल दिया
खो चुकी मै दिन को पहले
अब भिंगोती बरसात हैं
बह गए सब रंग दिल के
आस ही एक पास है
पर तिमिर का क्या भरोसा
कब कहा वो घात दे
तरसे नयन तुझको तकेंगे
उस घडी तू साथ दे
देखती धारा समय की
भींग तन यह बह गया
है बची जो श्वास तुझमे
बस यही मेरा बचा
देख घिरती कालिमा
है भेद जीवन का मिटा
दे बता क्या मन में तेरे
ले मुझे कहा चल दिया
कृते अंकेश
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