करना बहाना प्यार का
बीत जाएगी बहार
खो न जाना यार
फिर बजे जो बांसुरी
ताल छेड़े जो मृदंग
सोचना है सामने
फिर वही संसार
देख मेघराज को
खिलने लगे जो मन मयूर
करना नियंत्रित कामना
है चंचलता पाश
बारिशो की बूँद को
गिरने न देना ओष्ठ पर
छल जायगी घटा
वियोगी बयार
में यहाँ सुदूर में
शांत छंद रच रहा
मेरी कवित्व साधना
है तेरा इंतज़ार
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