कह रहे सपने यहाँ उड़ते रहे पंखो से तुम
लेकिन विचारो को भी तुम्हारे पंख लगने चाहिए
देखो पड़े है किस सदी से इन किताबो में छिपे
लगता नहीं अब क्या तुम्हे इन किताबो को बदलना चाहिए
फेकना लेकिन इन्हे जाने बिना बिलकुल नहीं
पहले इनकी असलियत को समझना चाहिए
देखना कितनी सदी पीछे रहे हम ज्ञान में
है समय यह उचित सारे संसोधन होने चाहिए
कृते अंकेश
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