पल कुछ आँखों में छोड़ गए तुम
जब आँखों को मोड़ गए तुम
आँखों के इन सपनों में जाने
किन आँखों को जोड़ गए तुम
आँखों की यह अनकही कहानी
इन आँखों ने कभी न जानी
गिर जाता जो इन आँखों से
है वो किन आँखों का पानी
आँखों के इस भंवर में डूबा
खोज रहा अब उन आँखों को
जो आँखे रही बुलाती हरदम
भरा भवन था जब आँखों से
कृते अंकेश
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