रात पिघलती गयी
चाँद खोता रहा
जुगनुओ की भीड़ में अँधेरा सोता रहा
मैंने इंतज़ार किया
ओस की बूंदों के गिरने तक
उषा की किरणे आयी
पर तुम नहीं आये....
मैंने भी पाया था
चाँद को ढलते हुए
रात के आगोश में खुद को पिघलते हुए
लेकिन अँधेरा मुझे डराता रहा
यकीन मानो
इंतज़ार मैंने भी किया
बस मुझे ओस की बूंदों का पानी नज़र न आ सका
और फिर आ गयी उषा की किरणे
मिलन की एक आस लेकर
कृते अंकेश
चाँद खोता रहा
जुगनुओ की भीड़ में अँधेरा सोता रहा
मैंने इंतज़ार किया
ओस की बूंदों के गिरने तक
उषा की किरणे आयी
पर तुम नहीं आये....
मैंने भी पाया था
चाँद को ढलते हुए
रात के आगोश में खुद को पिघलते हुए
लेकिन अँधेरा मुझे डराता रहा
यकीन मानो
इंतज़ार मैंने भी किया
बस मुझे ओस की बूंदों का पानी नज़र न आ सका
और फिर आ गयी उषा की किरणे
मिलन की एक आस लेकर
कृते अंकेश
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