हैं पथ में अगणित बाधा तो क्या
रुकना तेरी पहचान नहीं
बस बढे चलो जीवन पथ पर
मंजिल होती हर आसान नहीं
अंधियारे के बाद सदा
रवि की किरणे भी आती है
क्या हुआ रही बाधाये विकल
हर मुश्किल हल हो जाती है
जो रहे यहाँ उलझन में सदा
या सुप्त रहे वह छूट गए
मिलता बस पल भर का मौका
सपने रचते या टूट गए
लेकिन यह मनु की संतान यहाँ
कब इसने हार ही मानी है
हो दुर्गम पथ बाधाये विकल
पायी मंजिल जो ठानी है
कृते अंकेश
रुकना तेरी पहचान नहीं
बस बढे चलो जीवन पथ पर
मंजिल होती हर आसान नहीं
अंधियारे के बाद सदा
रवि की किरणे भी आती है
क्या हुआ रही बाधाये विकल
हर मुश्किल हल हो जाती है
जो रहे यहाँ उलझन में सदा
या सुप्त रहे वह छूट गए
मिलता बस पल भर का मौका
सपने रचते या टूट गए
लेकिन यह मनु की संतान यहाँ
कब इसने हार ही मानी है
हो दुर्गम पथ बाधाये विकल
पायी मंजिल जो ठानी है
कृते अंकेश
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