कितना और सहेगे बोलो
किस कीमत की आज़ादी है
न्याय मागते श्वांस लड़ रही
जीवन जंग भी भारी है
यही भगत की राष्ट्र भूमि है
यही शिवाजी की शाला
इसी माटी का एक पुत्र यह
चला पहन अब वरमाला
उस पग की छाया भी अब
भ्रष्ट तंत्र का काल बनेगी
इतने हलके में न लेना
कोटि पगो से राह पटेगी
अभी गुजारिश बस है इतनी
इतनी हिम्मत दिखलाओ
अन्ना जी की माँगो को
शीघ्र स्वीकृति में ले आओ
कृते अंकेश
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