ankesh_writes
Thursday, September 16, 2010
बिखरता हूँ , बिछुड़ता हू, बहारो से विसरता हूँ
बना व्याकुल बिना वारि भटकता हूँ तरसता हू
वो बेखुद सा बना बैठा बरसते बादलो के बीच
विरह की वेधती ज्वाला सहजता हूँ सहजता हूँ
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