मन सरगम है, दिल छूटा क्यों
क्यों रुठ गया सपना मन का
अपना न सका जीवन जिसको
वो पंझी पनघट छोड़ गया
रात अधेरी अब किसे पुकारे
अपना कौन यहाँ होगा
उड़ता बादल कहाँ को बरसे
सूना आगन फिर से होगा
कृते अंकेश
क्यों रुठ गया सपना मन का
अपना न सका जीवन जिसको
वो पंझी पनघट छोड़ गया
रात अधेरी अब किसे पुकारे
अपना कौन यहाँ होगा
उड़ता बादल कहाँ को बरसे
सूना आगन फिर से होगा
कृते अंकेश
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