मेरी होली
कोरे कागज से बचपन में
माँ ने प्यार का रंग चढ़ाया
पापा ने सिखलाया जीना
ज्ञान रंग उनसे ही पाया
भाई तेरा रंग अनोखा
तुझ बिन बचपन सूना होता
खेल खिलोने प्यारी दुनिया
यादगार हर पल न होता
मिली ज्ञान की दूजी शिक्षा
विद्या का आँगन था प्यारा
नन्हे मुन्हे चंचल मन को
बेशकीमती रंगों में ढाला
नन्हे मुन्हे मेरे साथी
कितने रंग थे मैंने पाए
भीग रहा था रंग बिरंगा
यह पल कभी भी ढल न पाए
आज रंगों की पावन बेला
रंगों में रंग जाऊँगा
आने वाले जीवन को भी
इन रंगों से सजाऊँगा
कृते अंकेश
कोरे कागज से बचपन में
माँ ने प्यार का रंग चढ़ाया
पापा ने सिखलाया जीना
ज्ञान रंग उनसे ही पाया
भाई तेरा रंग अनोखा
तुझ बिन बचपन सूना होता
खेल खिलोने प्यारी दुनिया
यादगार हर पल न होता
मिली ज्ञान की दूजी शिक्षा
विद्या का आँगन था प्यारा
नन्हे मुन्हे चंचल मन को
बेशकीमती रंगों में ढाला
नन्हे मुन्हे मेरे साथी
कितने रंग थे मैंने पाए
भीग रहा था रंग बिरंगा
यह पल कभी भी ढल न पाए
आज रंगों की पावन बेला
रंगों में रंग जाऊँगा
आने वाले जीवन को भी
इन रंगों से सजाऊँगा
कृते अंकेश