उत्तर
कही ठोकर ही मिलती है
संभलना भी वही आता
कही महलो में रहते हैं
जमाना पर्दों में छिप जाता
मुझे ठोकर ही देना तुम
तेरी दुनिया बड़ी प्यारी
तबियत भी अगर बिगड़े
सिखाती यह दुनियादारी
शिकायत हैं जिन्हें कह दू
जरा शबनम से जा पूछो
कितने साल गर्भ में धरती के
मोम के हैं बीते
फिर भी पिघलता हैं
किसी को रोशनी देकर
खुद चला जाता
वापस अँधेरे में ..........
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