पलको को आराम कहा
सारी रातें वो जगती है
जब किरण भोर की आती है
थकती सी अखियो पर गिरती है
बैचैन बनी बावरी सी
बस तस्वीरो को तकती है
बिखरी सी रातो में खोयी
यादो में डूबी ठगती हैं
अनजान बने दुनिया सारी
नादान बनी यह हसती है
जब किरण भोर की आती है
थकती सी अखियो पर गिरती है
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